वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 54: सीता का पाँच वानरों के बीच अपने भूषण और वस्त्र को गिराना, रावण का सीता को अन्तःपुर में रखना
»
श्लोक 19
श्लोक
3.54.19
स तान् दृष्ट्वा महावीर्यो वरदानेन मोहित:।
उवाच तानिदं वाक्यं प्रशस्य बलवीर्यत:॥ १९॥
अनुवाद
play_arrowpause
ब्रह्मा के वरदान से मुग्ध, बलशाली रावण उनके सामने प्रकट हुए और उनकी शक्ति और साहस की प्रशंसा करते हुए बोले-।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.