श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 54: सीता का पाँच वानरों के बीच अपने भूषण और वस्त्र को गिराना, रावण का सीता को अन्तःपुर में रखना  »  श्लोक 14-15h
 
 
श्लोक  3.54.14-15h 
 
 
अब्रवीच्च दशग्रीव: पिशाचीर्घोरदर्शना:॥ १४॥
यथा नैनां पुमान् स्त्री वा सीतां पश्यत्यसम्मत:।
 
 
अनुवाद
 
  इसके बाद दशग्रीव ने भयंकर आकार वाली पिशाचिनों को बुलाकर कहा - "तुम सबको सावधानी के साथ सीता की रक्षा करनी है। मेरी आज्ञा के बिना कोई भी स्त्री या पुरुष सीता को न देख पाए और न ही उनसे मिल सके।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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