धिक् ते शौर्यं च सत्त्वं च यत्त्वया कथितं तदा।
कुलाक्रोशकरं लोके धिक् ते चारित्रमीदृशम्॥ ९॥
अनुवाद
तेरी वीरता और शक्ति की, जिसका तूने स्वयं बड़े उत्साह से वर्णन किया था, धिक्कार है! कुल की प्रतिष्ठा को कलंकित करने वाले इस प्रकार के तेरे चरित्र को संसार में हमेशा धिक्कार ही मिलेगा॥ ९॥