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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 53: सीता का रावण को धिक्कारना
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श्लोक 8
श्लोक
3.53.8
कथयिष्यन्ति लोकेषु पुरुषा: कर्म कुत्सितम्।
सुनृशंसमधर्मिष्ठं तव शौटीर्यमानिन:॥ ८॥
अनुवाद
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तू अपने को बड़ा वीर मानता है, परंतु संसार के सभी वीर पुरुष तेरे इस कार्य को घृणित, क्रूर और पापपूर्ण ही बताएँगे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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