श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 53: सीता का रावण को धिक्कारना  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  3.53.25 
 
 
एतच्चान्यच्च परुषं वैदेही रावणाङ्कगा।
भयशोकसमाविष्टा करुणं विललाप ह॥ २५॥
 
 
अनुवाद
 
  रावण की कैद में तड़पती वैदेही राजकुमारी सीता भय और शोक से भरी हुई थीं। उन्होंने बहुत से कठोर शब्दों का प्रयोग करते हुए करुण स्वर में विलाप करना शुरू कर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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