रावण! तुम्हें स्वर्णमय वृक्ष दिख रहे हैं, रक्त की धारा बहने वाली भयानक वैतरणी नदी का दर्शन हो रहा है, भयानक तलवारों के पत्तों वाले वन को भी देखना चाहते हो और जिसमें तपाया हुआ सोना जैसे फूल तथा श्रेष्ठ नीलमणि जैसे पत्ते हैं और जिसमें लोहे के काँटे लगे हैं, उस नुकीली शाल्मलि का भी अब तुम जल्द ही दर्शन करोगे।