श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 53: सीता का रावण को धिक्कारना  »  श्लोक 14-15h
 
 
श्लोक  3.53.14-15h 
 
 
येन त्वं व्यवसायेन बलान्मां हर्तुमिच्छसि॥ १४॥
व्यवसायस्तु ते नीच भविष्यति निरर्थक:।
 
 
अनुवाद
 
  हे नीच! तुम बलपूर्वक मुझे हरण करने का संकल्प या अभिप्राय रखते हो, किंतु तुम्हारा यह अभिप्राय निष्फल होगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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