श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 53: सीता का रावण को धिक्कारना  »  श्लोक 13-14h
 
 
श्लोक  3.53.13-14h 
 
 
साधु कृत्वाऽऽत्मन: पथ्यं साधु मां मुञ्च रावण।
मत्प्रधर्षणसंक्रुद्धो भ्रात्रा सह पतिर्मम॥ १३॥
विधास्यति विनाशाय त्वं मां यदि न मुञ्चसि।
 
 
अनुवाद
 
  रावण! यदि तू मुझे छोड़ नहीं देगा तो क्रोधित हुए मेरे पति अपने भाई लक्ष्मण के साथ तेरे विनाश का उपाय करेंगे। इसलिए, अपनी भलाई के लिए मुझे छोड़ देना ही तेरे लिए उचित होगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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