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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 53: सीता का रावण को धिक्कारना
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श्लोक 12
श्लोक
3.53.12
न त्वं तयो: शरस्पर्शं सोढुं शक्त: कथंचन।
वने प्रज्वलितस्येव स्पर्शमग्नेर्विहंगम:॥ १२॥
अनुवाद
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हवाई पक्षी जंगल में लगी आग के स्पर्श को सहन नहीं कर पाता, उसी तरह से तू मेरे पति और उनके भाई दोनों के बाणों के स्पर्श को सह नहीं पाएगा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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