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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 53: सीता का रावण को धिक्कारना
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श्लोक 11
श्लोक
3.53.11
नहि चक्षु:पथं प्राप्य तयो: पार्थिवपुत्रयो:।
ससैन्योऽपि समर्थस्त्वं मुहूर्तमपि जीवितुम्॥ ११॥
अनुवाद
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तू सेना के साथ हो, फिर भी यदि वे दोनों राजकुमार तेरी दृष्टि में आ जाएँ तो तू एक पल भी जीवित नहीं रह पाएगा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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