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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 53: सीता का रावण को धिक्कारना
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श्लोक 10
श्लोक
3.53.10
किं शक्यं कर्तुमेवं हि यज्जवेनैव धावसि।
मुहूर्तमपि तिष्ठ त्वं न जीवन् प्रतियास्यसि॥ १०॥
अनुवाद
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इस समय कुछ भी नहीं किया जा सकता, क्योंकि तू बहुत तेजी से भाग रहा है। थोड़ा-सा भी रुक जा, नहीं तो तू वापस जीवित नहीं लौट सकेगा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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