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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 52: रावण द्वारा सीता का अपहरण
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श्लोक 7
श्लोक
3.52.7
तां लतामिव वेष्टन्तीमालिङ्गन्तीं महाद्रुमान्।
मुञ्च मुञ्चेति बहुश: प्राप तां राक्षसाधिप:॥ ७॥
अनुवाद
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वह लताओं की भाँति बड़े-बड़े वृक्षों से लिपटी हुई बार-बार कह रही थी, "मुझे इस संकट से निकालो, निकालो।" तभी वहाँ राक्षसों का राजा आ पहुँचा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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