श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 52: रावण द्वारा सीता का अपहरण  »  श्लोक 36
 
 
श्लोक  3.52.36 
 
 
समन्तादभिसम्पत्य सिंहव्याघ्रमृगद्विजा:।
अन्वधावंस्तदा रोषात् सीताच्छायानुगामिन:॥ ३६॥
 
 
अनुवाद
 
  रावण द्वारा सीता के हरण के समय, सिंह, बाघ, मृग और पक्षी सब ओर से सीता की परछाईं का अनुसरण करते हुए दौड़ रहे थे। वे रावण पर क्रोधित थे और उसे रोकना चाहते थे।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.