श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 52: रावण द्वारा सीता का अपहरण  »  श्लोक 35
 
 
श्लोक  3.52.35 
 
 
नलिन्यो ध्वस्तकमलास्त्रस्तमीनजलेचरा:।
सखीमिव गतोत्साहां शोचन्तीव स्म मैथिलीम्॥ ३५॥
 
 
अनुवाद
 
  जिस तालाब के कमल सूख चुके थे और मछलियों जैसे जलचर जीव डर से भाग गए थे, वह तालाब उदास हो गया था। मानो वह तालाब मिथिलेशकुमारी सीता को अपनी सहेली मानता था और उनके लिए शोक कर रहा था।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.