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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 52: रावण द्वारा सीता का अपहरण
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श्लोक 32
श्लोक
3.52.32
तस्यास्तान्यग्निवर्णानि भूषणानि महीतले।
सघोषाण्यवशीर्यन्त क्षीणास्तारा इवाम्बरात्॥ ३२॥
अनुवाद
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जानकी के शरीर पर अग्नि की भाँति चमकनेवाले आभूषण थे। उस समय आभूषण खन-खन की आवाज़ करते हुए एक-एक करके गिरने लगे। यह वैसा ही दृश्य था जैसे आकाश से तारे टूट-टूटकर पृथ्वी पर गिर रहे हों।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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