श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 52: रावण द्वारा सीता का अपहरण  »  श्लोक 31
 
 
श्लोक  3.52.31 
 
 
तां महोल्कामिवाकाशे दीप्यमानां स्वतेजसा।
जहाराकाशमाविश्य सीतां वैश्रवणानुज:॥ ३१॥
 
 
अनुवाद
 
  रावण ने सीता को, जो अपने तेज से आकाश में एक बहुत बड़ी उल्का की तरह चमक रही थी, आकाशमार्ग से ही हरकर ले गया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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