श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 52: रावण द्वारा सीता का अपहरण  »  श्लोक 28
 
 
श्लोक  3.52.28 
 
 
अभ्यवर्तत पुष्पाणां धारा वैश्रवणानुजम्।
नक्षत्रमाला विमला मेरुं नगमिवोन्नतम्॥ २८॥
 
 
अनुवाद
 
  कुबेर के छोटे भाई रावण पर जब पुष्पों की धारा पड़ी, तो वह ऊँचे मेरु पर्वत पर उतरने वाली निर्मल नक्षत्रमाला की तरह सुंदर दिखाई दे रहे थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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