श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 52: रावण द्वारा सीता का अपहरण  »  श्लोक 27
 
 
श्लोक  3.52.27 
 
 
सा तु रावणवेगेन पुष्पवृष्टि: समन्तत:।
समाधूता दशग्रीवं पुनरेवाभ्यवर्तत॥ २७॥
 
 
अनुवाद
 
  रावण के तेज वेग से उठी हुई फूलों की वर्षा चारों दिशाओं में बिखर गई, लेकिन उसके बाद फिर से वह उसी दशानन यानी रावण पर ही गिरने लगी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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