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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 52: रावण द्वारा सीता का अपहरण
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श्लोक 25
श्लोक
3.52.25
तस्या भूषणघोषेण वैदेह्या राक्षसेश्वर:।
बभूव विमलो नील: सघोष इव तोयद:॥ २५॥
अनुवाद
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रघुवंश महाकाव्य के अनुसार, जब रावण वैदेही सीता को उठाकर अपने विमान में बैठाकर लंका जा रहा था, तब विदेह नंदिनी सीता के आभूषणों की झनकार से रावण एक निर्मल नील मेघ की तरह गर्जना कर रहा था। उस समय रावण का रूप बड़ा ही भयंकर और क्रूर था।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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