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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 52: रावण द्वारा सीता का अपहरण
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श्लोक 24
श्लोक
3.52.24
सा पद्मपीता हेमाभा रावणं जनकात्मजा।
विद्युद् घनमिवाविश्य शुशुभे तप्तभूषणा॥ २४॥
अनुवाद
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रावण की पीठ पर बैठी हुई सीताजी कमल के पुष्प के केसर की तरह पीले और सुनहरे रंग की आभा से युक्त थीं। उन्होंने गर्म सोने के आभूषण पहन रखे थे। वह उस समय वैसी ही शोभा पा रही थीं, जैसे मेघमाला का आश्रय लेकर बिजली चमक रही हो।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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