श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 52: रावण द्वारा सीता का अपहरण  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  3.52.23 
 
 
सा हेमवर्णा नीलाङ्गं मैथिली राक्षसाधिपम्।
शुशुभे काञ्चनी काञ्ची नीलं गजमिवाश्रिता॥ २३॥
 
 
अनुवाद
 
  मिथिलेश कुमारी श्री सीता का सुंदर शरीर सोने की तरह चमकीला था और रावण का शरीर बिल्कुल काला था। उसकी गोद में वे ऐसी लग रही थीं मानो काले हाथी ने सोने की करधनी पहन ली हो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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