श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 52: रावण द्वारा सीता का अपहरण  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  3.52.2 
 
 
निमित्तं लक्षणं स्वप्नं शकुनिस्वरदर्शनम्।
अवश्यं सुखदु:खेषु नराणां परिदृश्यते॥ २॥
 
 
अनुवाद
 
   मनुष्यों को आने वाले सुख-दुःख के लक्षण, स्वप्न, पक्षियों के स्वर और उनका दाएँ-बाएँ दिखना आदि शुभ-अशुभ संकेत अवश्य ही दिखाई देते हैं।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.