श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 52: रावण द्वारा सीता का अपहरण  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  3.52.17 
 
 
तस्या: कौशेयमुद‍्धूतमाकाशे कनकप्रभम्।
बभौ चादित्यरागेण ताम्रमभ्रमिवातपे॥ १७॥
 
 
अनुवाद
 
  तत्पश्चात आकाश में उड़ने वाला सोने के समान रंग में चमकता हुआ उनका रेशमी पीला वस्त्र दिखाई दिया, बिल्कुल वैसे ही जैसे संध्याकालीन सूर्य की लालिमा के कारण लाल रंग में चमकता हुआ तांबे के रंग वाला मेघखंड आकाश में दिखाई देता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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