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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 52: रावण द्वारा सीता का अपहरण
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श्लोक 14
श्लोक
3.52.14
तप्ताभरणवर्णाङ्गी पीतकौशेयवासिनी।
रराज राजपुत्री तु विद्युत्सौदामनी यथा॥ १४॥
अनुवाद
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तपाये हुए सोने के गहनों से उनका सारा शरीर सुशोभित था। उन्होंने पीले रंग की रेशमी साड़ी पहन रखी थी। इसलिए उस समय राजकुमारी सीता ऐसे लग रही थीं जैसे सुदाम पर्वत से प्रकट हुई बिजली चमक रही हो॥ १४॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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