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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 52: रावण द्वारा सीता का अपहरण
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श्लोक 13
श्लोक
3.52.13
स तु तां राम रामेति रुदतीं लक्ष्मणेति च।
जगामादाय चाकाशं रावणो राक्षसेश्वर:॥ १३॥
अनुवाद
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बेचारी सीता ‘हा राम! हा राम’ कहकर रो रही थीं। लक्ष्मणको भी पुकार रही थीं। उसी अवस्थामें राक्षसोंका राजा रावण उन्हें लेकर आकाशमार्गसे चल दिया॥ १३॥
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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