श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 51: जटायु तथा रावण का घोर युद्ध और रावण के द्वारा जटायु का वध  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  3.51.9 
 
 
स राक्षसरथे पश्यञ्जानकीं बाष्पलोचनाम्।
अचिन्तयित्वा बाणांस्तान् राक्षसं समभिद्रवत्॥ ९॥
 
 
अनुवाद
 
  देखते ही देखते जटायु महाराज ने रावण के रथ पर बैठी जानकी को रोते हुए देखा। उनको देखकर पक्षियों में श्रेष्ठ जटायु ने बदन में लगे हुए तीरों की परवाह न करते हुए एकदम से रावण पर हमला बोल दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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