स तैर्बाणैर्महावीर्य: पूर्णमुक्तैरजिह्मगै:।
बिभेद निशितैस्तीक्ष्णैर्गृध्रं घोरै: शिलीमुखै:॥ ८॥
अनुवाद
निखिल पराक्रमशाली रावण ने अपने धनुष से प्रचंड गति से छोड़े गये सीधे जानेवाले, मर्मभेदी और घातक बाणों, जिनके आगे के भाग में कांटे लगे हुए थे, से गिद्धराज को छिन्न-भिन्न कर दिया।