वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 51: जटायु तथा रावण का घोर युद्ध और रावण के द्वारा जटायु का वध
»
श्लोक 7
श्लोक
3.51.7
अथ क्रोधाद् दशग्रीवो जग्राह दश मार्गणान्।
मृत्युदण्डनिभान् घोरान् शत्रोर्निधनकांक्षया॥ ७॥
अनुवाद
play_arrowpause
तब दशग्रीव क्रोध से भरकर अपने शत्रु को मृत्यु के घाट उतारने की इच्छा से हाथों में दस बाण लिए, जो कालदंड के समान भयंकर थे।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.