श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 51: जटायु तथा रावण का घोर युद्ध और रावण के द्वारा जटायु का वध  »  श्लोक 43
 
 
श्लोक  3.51.43 
 
 
स च्छिन्नपक्ष: सहसा रक्षसा रौद्रकर्मणा।
निपपात महागृध्रो धरण्यामल्पजीवित:॥ ४३॥
 
 
अनुवाद
 
  सहसा रक्षसा रौद्र कर्मानेण पक्षों को छिन्न-भिन्न किए जाने के तत्क्षण पंचायत जटायु पृथ्वी पर गिर गए। अब वे अल्पजीवी ही थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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