श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 51: जटायु तथा रावण का घोर युद्ध और रावण के द्वारा जटायु का वध  »  श्लोक 42
 
 
श्लोक  3.51.42 
 
 
तस्य व्यायच्छमानस्य रामस्यार्थे स रावण:।
पक्षौ पादौ च पार्श्वौ च खड्गमुद्‍धृत्य सोऽच्छिनत्॥ ४२॥
 
 
अनुवाद
 
  उस समय पराक्रम कर रहे श्रीरामचन्द्रजी के लिए रावण ने तलवार निकाली और जटायु के दोनों पंख, पैर और पार्श्वभाग काट डाले।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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