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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 51: जटायु तथा रावण का घोर युद्ध और रावण के द्वारा जटायु का वध
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श्लोक 40
श्लोक
3.51.40
तत: क्रोधाद् दशग्रीव: सीतामुत्सृज्य वीर्यवान्।
मुष्टिभ्यां चरणाभ्यां च गृध्रराजमपोथयत्॥ ४०॥
अनुवाद
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तब दशानन ने क्रोधित होकर सीता को छोड़ दिया और गरुड़ को मुट्ठियों और पैरों से पीटना-मारना शुरू कर दिया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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