वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 51: जटायु तथा रावण का घोर युद्ध और रावण के द्वारा जटायु का वध
»
श्लोक 38
श्लोक
3.51.38
जटायुस्तमतिक्रम्य तुण्डेनास्य खगाधिप:।
वामबाहून् दश तदा व्यपाहरदरिंदम:॥ ३८॥
अनुवाद
play_arrowpause
परंतु उस वार को बचाकर शत्रुदमन गरुड़राज जटायु ने अपनी चोंच से मार-मारकर रावण की दसों बायीं भुजाओं को उखाड़ लीं।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.