श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 51: जटायु तथा रावण का घोर युद्ध और रावण के द्वारा जटायु का वध  »  श्लोक 38
 
 
श्लोक  3.51.38 
 
 
जटायुस्तमतिक्रम्य तुण्डेनास्य खगाधिप:।
वामबाहून् दश तदा व्यपाहरदरिंदम:॥ ३८॥
 
 
अनुवाद
 
  परंतु उस वार को बचाकर शत्रुदमन गरुड़राज जटायु ने अपनी चोंच से मार-मारकर रावण की दसों बायीं भुजाओं को उखाड़ लीं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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