श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 51: जटायु तथा रावण का घोर युद्ध और रावण के द्वारा जटायु का वध  »  श्लोक 37
 
 
श्लोक  3.51.37 
 
 
सम्परिष्वज्य वैदेहीं वामेनाङ्केन रावण:।
तलेनाभिजघानार्तो जटायुं क्रोधमूर्च्छित:॥ ३७॥
 
 
अनुवाद
 
  रावण ने क्रोधित होकर विदेह नन्दिनी सीता को अपनी बायीं गोद में लिया और बहुत पीड़ा दी। इसके बाद क्रोध में भरकर उसने तमाचे से जटायु पर प्रहार किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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