श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 51: जटायु तथा रावण का घोर युद्ध और रावण के द्वारा जटायु का वध  »  श्लोक 30
 
 
श्लोक  3.51.30 
 
 
युद‍्ध्यस्व यदि शूरोऽसि मुहूर्तं तिष्ठ रावण।
शयिष्यसे हतो भूमौ यथा भ्राता खरस्तथा॥ ३०॥
 
 
अनुवाद
 
  ‘रावण! यदि शूरवीर हो तो दो घड़ी और ठहरो और मुझसे युद्ध करो। फिर तो तुम भी उसी प्रकार मरकर पृथ्वीपर सो जाओगे, जैसे तुम्हारा भाई खर सोया था॥ ३०॥
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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