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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 51: जटायु तथा रावण का घोर युद्ध और रावण के द्वारा जटायु का वध
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श्लोक 29
श्लोक
3.51.29
यथा त्वया कृतं कर्म भीरुणा लोकगर्हितम्।
तस्कराचरितो मार्गो नैष वीरनिषेवित:॥ २९॥
अनुवाद
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तुम एक कायर और डरपोक व्यक्ति हो। तुमने जो किया है वह एक चोर का काम है, जिसे समाज में कोई सम्मान नहीं देता। वीर पुरुष ऐसा रास्ता कभी नहीं अपनाते।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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