श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 51: जटायु तथा रावण का घोर युद्ध और रावण के द्वारा जटायु का वध  »  श्लोक 24
 
 
श्लोक  3.51.24 
 
 
वज्रसंस्पर्शबाणस्य भार्यां रामस्य रावण।
अल्पबुद्धे हरस्येनां वधाय खलु रक्षसाम्॥ २४॥
 
 
अनुवाद
 
  हे मंदबुद्धि रावण! जिस श्रीराम के बाणों का स्पर्श वज्र के समान है, उनकी धर्मपत्नी सीता को तुमने निश्चित ही राक्षसों के वध के लिए ही चुना है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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