श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 51: जटायु तथा रावण का घोर युद्ध और रावण के द्वारा जटायु का वध  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  3.51.21 
 
 
परिश्रान्तं तु तं दृष्ट्वा जरया पक्षियूथपम्।
उत्पपात पुनर्हृष्टो मैथिलीं गृह्य रावण:॥ २१॥
 
 
अनुवाद
 
  वृद्धावस्था के कारण पक्षिराज के थक जाने से रावण को बहुत खुशी हुई और वह फिर से मैथिली को लेकर आकाश में उड़ गया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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