श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 51: जटायु तथा रावण का घोर युद्ध और रावण के द्वारा जटायु का वध  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  3.51.15 
 
 
काञ्चनोरश्छदान् दिव्यान् पिशाचवदनान् खरान्।
तांश्चास्य जवसम्पन्नाञ्जघान समरे बली॥ १५॥
 
 
अनुवाद
 
  तदनन्तर उस बलशाली योद्धा ने युद्ध के मैदान में पिशाच के समान मुंह और छाती पर सोने के कवच वाले तेज रफ़्तार गधों को भी मार डाला।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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