श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 51: जटायु तथा रावण का घोर युद्ध और रावण के द्वारा जटायु का वध  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  3.51.13 
 
 
स तानि शरजालानि पक्षाभ्यां तु विधूय ह।
चरणाभ्यां महातेजा बभञ्जास्य महद् धनु:॥ १३॥
 
 
अनुवाद
 
  तब प्रतापी जटायु ने अपने पंखों से उन बाणों को हटा दिया और अपने पंजों से उसके धनुष को टुकड़े-टुकड़े कर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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