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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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सर्ग 51: जटायु तथा रावण का घोर युद्ध और रावण के द्वारा जटायु का वध
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श्लोक 12
श्लोक
3.51.12
शरैरावारितस्तस्य संयुगे पतगेश्वर:।
कुलायमभिसम्प्राप्त: पक्षिवच्च बभौ तदा॥ १२॥
अनुवाद
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तब युद्धस्थल में गरुड़राज के चारों ओर बाणों का ऐसा घेरा बन गया कि वे घोंसले में बैठे हुए एक पक्षी के समान प्रतीत होने लगे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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