श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 51: जटायु तथा रावण का घोर युद्ध और रावण के द्वारा जटायु का वध  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  3.51.10 
 
 
ततोऽस्य सशरं चापं मुक्तामणिविभूषितम्।
चरणाभ्यां महातेजा बभञ्ज पतगोत्तम:॥ १०॥
 
 
अनुवाद
 
  महातेजस्वी पक्षिराज जटायु ने मोतियों और मणियों से सजे रावण के धनुष को, जिसमें बाण भी लगे हुए थे, अपने दोनों पैरों से मारकर तोड़ दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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