श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 50: जटायु का रावण को सीताहरण के दुष्कर्म से निवृत्त होने के लिये समझाना और अन्त में युद्ध के लिये ललकारना  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  3.50.18 
 
 
स भार: सौम्य भर्तव्यो यो नरं नावसादयेत्।
तदन्नमपि भोक्तव्यं जीर्यते यदनामयम्॥ १८॥
 
 
अनुवाद
 
  सौम्य! मनुष्य को उतना भार उठाना चाहिए कि उससे थकान न हो और वही भोजन करना चाहिए जो पच जाए और बीमारी पैदा न करे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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