श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 5: श्रीराम, लक्ष्मण और सीता का शरभङ्ग मुनि के आश्रम पर जाना, देवताओं का दर्शन करना और मुनि से सम्मानित होना तथा शरभङ्ग मुनि का ब्रह्मलोक-गमन  »  श्लोक 9-10h
 
 
श्लोक  3.5.9-10h 
 
 
चामरव्यजने चाग्रॺे रुक्मदण्डे महाधने॥ ९॥
गृहीते वरनारीभ्यां धूयमाने च मूर्धनि।
 
 
अनुवाद
 
  श्रीराम ने बेशकीमती सुनहरे डंडे वाले दो उत्तम और बहुमूल्य चँवर और व्यजन भी देखे, जिन्हें दो रूपवती स्त्रियाँ लेकर देवराज इंद्र के सिर पर हवा कर रही थीं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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