पुण्यकर्म करने वाले द्विजश्रेष्ठ शरभङ्ग ने ब्रह्मलोक में परिचारकों से घिरे हुए पितामह ब्रह्माजी का दर्शन किया। ब्रह्माजी भी उस महान ब्राह्मण को देखकर बहुत प्रसन्न हुए और बोले- ‘महामुनि आपका स्वागत है’।
इत्यार्षे श्रीमद्रामायणे वाल्मीकीये आदिकाव्येऽरण्यकाण्डे पञ्चम: सर्ग:॥ ५॥
इस प्रकार श्रीवाल्मीकिनिर्मित आर्षरामायण आदिकाव्यके अरण्यकाण्डमें पाँचवाँ सर्ग पूरा हुआ॥ ५॥