श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 5: श्रीराम, लक्ष्मण और सीता का शरभङ्ग मुनि के आश्रम पर जाना, देवताओं का दर्शन करना और मुनि से सम्मानित होना तथा शरभङ्ग मुनि का ब्रह्मलोक-गमन  »  श्लोक 41
 
 
श्लोक  3.5.41 
 
 
स च पावकसंकाश: कुमार: समपद्यत।
उत्थायाग्निचयात् तस्माच्छरभङ्गो व्यरोचत॥ ४१॥
 
 
अनुवाद
 
  शरभंग मुनि ने अग्नि के समान तेजस्वी कुमार के रूप में प्रकट होकर, उस अग्नि के ढेर से ऊपर उठकर अत्यंत शोभायमान हो गए।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.