श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 5: श्रीराम, लक्ष्मण और सीता का शरभङ्ग मुनि के आश्रम पर जाना, देवताओं का दर्शन करना और मुनि से सम्मानित होना तथा शरभङ्ग मुनि का ब्रह्मलोक-गमन  »  श्लोक 40
 
 
श्लोक  3.5.40 
 
 
तस्य रोमाणि केशांश्च तदा वह्निर्महात्मन:।
जीर्णां त्वचं तदस्थीनि यच्च मांसं च शोणितम्॥ ४०॥
 
 
अनुवाद
 
  उस समय अग्नि ने उन महात्मा के शरीर के रोम, केश, पुरानी त्वचा, हड्डियों, मांस और रक्त को जलाकर भस्म कर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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