श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 5: श्रीराम, लक्ष्मण और सीता का शरभङ्ग मुनि के आश्रम पर जाना, देवताओं का दर्शन करना और मुनि से सम्मानित होना तथा शरभङ्ग मुनि का ब्रह्मलोक-गमन  »  श्लोक 39
 
 
श्लोक  3.5.39 
 
 
ततोऽग्निं स समाधाय हुत्वा चाज्येन मन्त्रवत् ।
शरभङ्गो महातेजा: प्रविवेश हुताशनम्॥ ३९॥
 
 
अनुवाद
 
  तब महातेजस्वी शरभंग मुनि ने विधिवत् अग्नि स्थापित की और उसे मंत्रोच्चारणपूर्वक घी की आहुति दी। तत्पश्चात वे स्वयं भी उस अग्नि में प्रविष्ट हो गये।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.