इमां मन्दाकिनीं राम प्रतिस्रोतामनुव्रज।
नदीं पुष्पोडुपवहां ततस्तत्र गमिष्यसि॥ ३७॥
अनुवाद
श्रीराम! इस मन्दाकिनी नदी के उद्गम के विपरीत दिशा में इसके किनारे-किनारे चले जाइये। ये फूलों के समान छोटी-छोटी नावों से पार की जा सकती है या फिर पुष्पमयी नाव को बहाकर पार की जा सकती है। इस तरह आप वहाँ पहुँच जायेंगे।