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श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
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काण्ड 3: अरण्य काण्ड
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सर्ग 5: श्रीराम, लक्ष्मण और सीता का शरभङ्ग मुनि के आश्रम पर जाना, देवताओं का दर्शन करना और मुनि से सम्मानित होना तथा शरभङ्ग मुनि का ब्रह्मलोक-गमन
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श्लोक 33
श्लोक
3.5.33
अहमेवाहरिष्यामि सर्वांल्लोकान् महामुने।
आवासं त्वहमिच्छामि प्रदिष्टमिह कानने॥ ३३॥
अनुवाद
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महामुने! मैं स्वयं आपके लिए सभी लोकों की प्राप्ति कराऊँगा। अभी तो मैं यहीं इस वन में आपके बताये हुए स्थान पर रहना चाहता हूँ।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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