वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
»
काण्ड 3: अरण्य काण्ड
»
सर्ग 5: श्रीराम, लक्ष्मण और सीता का शरभङ्ग मुनि के आश्रम पर जाना, देवताओं का दर्शन करना और मुनि से सम्मानित होना तथा शरभङ्ग मुनि का ब्रह्मलोक-गमन
»
श्लोक 32
श्लोक
3.5.32
एवमुक्तो नरव्याघ्र: सर्वशास्त्रविशारद:।
ऋषिणा शरभङ्गेन राघवो वाक्यमब्रवीत्॥ ३२॥
अनुवाद
play_arrowpause
शरभंग मुनि के इस प्रकार कहने पर सम्पूर्ण शास्त्रों के ज्ञाता श्रेष्ठ पुरुष श्री रघुनाथजी ने निम्नलिखित उत्तर दिया-।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.