श्रीमद् वाल्मीकि रामायण  »  काण्ड 3: अरण्य काण्ड  »  सर्ग 5: श्रीराम, लक्ष्मण और सीता का शरभङ्ग मुनि के आश्रम पर जाना, देवताओं का दर्शन करना और मुनि से सम्मानित होना तथा शरभङ्ग मुनि का ब्रह्मलोक-गमन  »  श्लोक 32
 
 
श्लोक  3.5.32 
 
 
एवमुक्तो नरव्याघ्र: सर्वशास्त्रविशारद:।
ऋषिणा शरभङ्गेन राघवो वाक्यमब्रवीत्॥ ३२॥
 
 
अनुवाद
 
  शरभंग मुनि के इस प्रकार कहने पर सम्पूर्ण शास्त्रों के ज्ञाता श्रेष्ठ पुरुष श्री रघुनाथजी ने निम्नलिखित उत्तर दिया-।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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